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सुबाहु
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सुबाहुः
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سُباہو
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সুবাহু
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સુબાહુ
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ସୁବାହୁ
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சுபாஹூ
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ਸੁਬਾਹੂ
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சுபாஹு
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ସୁବାହୁ ଅପ୍ସରା
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सुबाहू
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سُباہُو
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سُباہُہ
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سوباہو
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സുബാഹു
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ਸੁਬਾਹੁ
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शान्तसेन
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जिनमाणिक्य
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३९४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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देवताविषयक पदे - मंगलाचरण
श्री समर्थांनी दासबोध ग्रंथासोबतच गाथा आणि भारुडे रचून इतिहास घडविला आहे.
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अंतिनार
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श्री रामाचे पद - राम दीनबंधू रे । भक्तपाळ ...
ऐतिहासिक पुराव्यांनुसार, समर्थ रामदासांनी रचलेल्या दासबोध या ग्रंथाचे लेखनिक कल्याणस्वामी होते.
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प्रतिबाहु
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पातालखण्डः - अध्यायः २५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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मण्डल २ - सूक्तं ३२
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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भूमिखंडः - अध्यायः ९५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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सुंद
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अध्याय सहावा - अभंग १ ते २०
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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अध्याय सहावा - अभंग ४१ ते ६०
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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श्रीदत्त भजन गाथा - विश्वामित्र मख रक्षण
श्रीयुत विनायक वासुदेव साठे यांनी रचलेली श्रीदत्त भजन गाथा.
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वीरबाहु
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सुकेतु
Meanings: 25; in Dictionaries: 5
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अध्याय सहावा - अभंग ६१ ते ७५
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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अध्याय ६१ वा - श्लोक ११ ते १५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ९० वा - श्लोक ३६ ते ४०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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भद्राचलरामचूर्णिका - ॐ श्रीमदखिलाण्डकोटि ब्रह्...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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तुंबरु
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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मार्कण्डेयपुराणम् - चतुश्चत्वारिंशोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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भविष्यपर्व - एकोनपञ्चाशत्तमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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भूमिखंडः - अध्यायः ९८
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अलर्क
Meanings: 27; in Dictionaries: 10
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अध्याय पांचवा - अभंग १ ते २०
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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अध्याय पांचवा - अभंग २१ ते ४०
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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सुनंदा
Meanings: 24; in Dictionaries: 4
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पंचमाष्टक - अष्टमोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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शूरसेन
Meanings: 28; in Dictionaries: 7
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मार्कण्डेयपुराणम् - सप्तत्रिंशोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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श्रीदत्तमाहात्म्य - अध्याय २९ वा
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत श्रीदत्तमाहात्म्य
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स्कंध ९ वा - अध्याय ११ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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सुदामन्
Meanings: 33; in Dictionaries: 3
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